सरसों का बीज 4-5 सेमी से गहरा न बोएं, 30 सेमी की दूरी में हों कतार
तनागलन से बचाव के लिए पहले कर लें बीजोपचार
सरसों की बिजाई के लिए किसान खेत तैयार कर लें। सितंबर के अंत में सरसों की बिजाई आरंभ हो जाती है। तिलहनों की बिजाई सिंचित क्षेत्रों में सवा किलोग्राम व बारानी क्षेत्रों में 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ लेकर कतारों में 30 सेंटीमीटर की दूरी पर करें। पोरा विधि से ऐसे बीज डालें कि 4-5 सेंटीमीटर से अधिक गहरा न पड़े।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि सरसों को तनागलन रोग से बचाने के लिए पहले बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन नामक दवा से प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। बिजाई के समय सिंचित तोरिया व सरसों में 25 किलोग्राम यूरिया और 50 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में पोर दें। बाकी 25 किलोग्राम यूरिया पहली सिंचाई के समय डाल दें। बारानी इलाकों में तोरिया, सरसों व बंगा सरसों के लिए 35 किलोग्राम यूरिया और 50 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ बिजाई के समय पोर दें। नहरी इलाकों में राया के लिए क्रमशः 35 किलोग्राम यूरिया व 75 किलोग्राम सुपरफास्फेट प्रति एकड़ बिजाई के समय खेत में पोर दें।
इन किस्मों की करें बिजाई
देसी सरसों की किस्म बीएसएच-1, राया-सरसों की आरएच-30, वरुणा व आरएच-781,
आरएच-819, लक्ष्मी, आरएच-9304 वसुन्धरा, आरएच- 9801 स्वर्ण ज्योति व आरबी-9901 गीता, आरबी-50, आरएच- 0119, आरएच-406, आरएच-0749, आरएच- 725, पीली सरसों की किस्म वाई एसएच-0401 तारामीरा की किस्म टी-27 ही बोएं।
एचएयू ने तैयार की आरएच-1975 किस्म, सिंचित क्षेत्रों के लिए उत्तम
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने सरसों की एक और उन्नत किस्म आरएच-1975 विकसित की है। यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में समय पर बिजाई के लिए एक उत्तम है जो मौजूदा किस्म आरएच-749 से लगभग 12 प्रतिशत अधिक पैदावार देगी। आरएच-749 किस्म हकृवि ने वर्ष 2013 में विकसित की थी। हकृवि ने बीते साल भी सरसों की दो किस्में आरएच-1424 व आरएच-1706 विकसित की हैं। ये किस्में भी सरसों की उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी।